बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए - बी. आर. अम्बेडकर

गणेश - विघ्नहर्ता

दोस्तों आप सभी को गणेश चतुर्थीकी हार्दिक शुभकामनाये और आपसे वादा करता हु की आज से सारे लेख में खुद लिखुगा....आज में आपको गणपति के बारे के कुछ बताना चाहता हु....

विघ्न बाघाओं  को दूर करने और बुध्दी को सही मार्ग पर रखने वाली इश्वरी शक्ति का नाम है गणपति.
गणपति जी का चित्र कुछ अजीब सा है.. हाथी के समान  मुख, वक्रतुंड, एकदंत, मोटा पेट और वाहन चूहा.

उनका यह चित्र मनोवैज्ञानिक तत्वों से परिपूर्ण है.. वास्तव में इश्वर एक है और वह निराकार है, पर उस निराकार इश्वर का अनुभव योगी - रूशी, मुनि अपनी कुशाग्र बुघ्दी से कर सकते है, उस एक इश्वर की अनेक शक्तिया है, ये नाना शक्तिया ही हमारे तैतीस करोड़ देवी- देवता है.. प्रत्येक देवी-देवता एक मुख्य शक्ति का प्रतिक और मूर्तरूप है, आएये, 

बुघ्दी को सन्मार्ग पर स्थिर रखने वाली शक्ति गणपति के स्वरुप के बारे में विचार करे---उनका हाथी जैसा चोंडा मस्तक विवेक को प्रकट करता है.. जो मनुष्य को सोच- समजकर काम करने की प्रेरणा देता है..
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हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और होते है. ये दांत यह प्रकट करते है की अपने काम में विघ्न न चाहने वाले व्यक्ति को चाहिए की वह सज्जन पुरुषो से तो उदारता का व्यवहार करे ही, पर अकारण हुए शत्रुओं  से सावधान रहते हुए अपना खुला विरोध न प्रकट होने दे, बल्कि दिखावे के दातो की तरह बाह्य व्यवहार शिष्ट रखे.



हाथी की सुड या नाक कुल की प्रतिष्टा का प्रतिक है. यह हमें शिक्षा देती है की हम कही कोई एसा व्यवहार न करे की हमारी या हमारे कुल की नाक कट जाए. गणेशजी की सूड हमें कुल की प्रतिष्टा बनाये रखने का सन्देश देती है.....

गणेशजी के कान बड़े बड़े और सूप के आकार के है.. जो हमें सिखाते है की हमें दूसरो की बातो को अच्छी तरह ध्यान पूर्वक सुनना चाहिए.. जो उसमे ग्रहण करने योग्य गो, केवल उसे ही ग्रहण करना चाहिए..

गणेशजी के नेत्र भी हाथी के नत्रो के सामान छोटे छोटे है, हाथी अपने छोटे छोटे नेत्रों से छोटी से छोटी चीज को भी आसानी से देख लेता है.. गणेशजी के नेत्र हमें यही शिक्षा देते है की हमें छोटी बात को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए..

गणेशजी को लम्बोदर कहा गया है.. उनका लंबा मोटा पेट हमें सन्देश देता है की सुनी हुई बातो को अपने पेट में रखना चाहिए.. उन्हें जिबा पर नहीं लाना चाहिए..

गणेशजी का वाहन चूहा  तर्क का प्रतिक है.. चूहा अपने छोटे छोटे दातो से बहुत सी वस्तुए कुतरता रहता है.  वह दिन - रात काट - छाट ही करता रहता है...वह हमें सिखाता है की हमें हर बात की तर्क के आधार पर ही स्वीकार करना चाहिए, पर कुतर्क से बचना चाहिए... 

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गणेश

2 comments:

  1. आप के द्वारा लिखा गया लेख बहुत ही जानकारी वाला ओउर सगुन निर्गुण से मेल कराने वाला प्रतीत होता है धन्यवाद

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