बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए - बी. आर. अम्बेडकर

ठण्ड से क्यों होती है कंपकपी ?


दोस्तों सर्दियों में जब शीत शहर के दोर चलते है, तो ठण्ड के मारे हमारा शरीर कापने लगता है.
आखिर हमारा शरीर ठण्ड से क्यों कपकंपता है?

आओ, यही कुछ जानते है, जाड़े में हम अपने बदन को गरमास देने के लिए उनी कपडे धारण करते है, 
उनी कपड़ो की वजैसे हमारी मांसपेशिया सक्रीय होती है, हो शरीर में गरमाहट आ जाती है. 


लेकिन अगर शरीर को गरम करने के लिए हम कोई भी कसरत आदि न करे तो मांसपेशियों को मजबूत होकर काम करना पड़ता है, ताकि गर्मी पैदा हो सके,  हां मांसपेशियों की यही क्रिया कंपन का रूप ले लेती है और हमारा शरीर ठिठुरता, कंपकंपाने लगता है.

इसी प्रकार जब हमें ज्यादा गर्मी लग रही हो तो शरीर को ठंडा करने के लिए हमें पसीना आता है. 
जब यह पसीना बश्पिकरण द्वारा हमारा शरीर छोडता है तो हमें ठंडी मिलाती है. 
प्रकृति हमें सर्दियों में गरम और गर्मियों में ठंडा रखने में सहायता कराती है.

No comments:

Post a Comment