बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए - बी. आर. अम्बेडकर

कैसे प्यासा रह पाता है ऊंट ?


हमारे जीवन में पानी का क्या महत्व है ये मुझे बताने की जरुरत नहीं है. पर क्या आपने कभी सोचा है की,
ऊंट बिना पानी पिए लम्बे समय तक जीवित रह सकता है..

क्या आप बता सकते है की एसा कैसे हो पाता है? दरअसल माना जाता है की ऊंट के पेट की थैली में एक ही बार में कई दिनों के लिए पानी भर लेने की शमता होती है. 

लेकिन वास्तव में एसा कुछ नहीं है. 

यह एक भ्रांत धारणा है जबकि वैज्ञानिक तथ्य यह है की ऊंट की पीठ पर जो कूबड़ निकला रहता है, उसमे काफी मात्रा में चर्बी विद्यमान होती है. 

यही चर्बी आवश्यकतानुसार अपधटित होकर हाइड्रोजन गैस निर्मित करती है और श्वासोछवास से उपलब्ध ऑक्सीजन इस हाइड्रोजन के साथ मिलकर पानी बनाती है. 

इस तरह ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से मिलकर बना यही पानी ऊंट की तृष्णा को शांत करता है. 


हमें क्यों लगती है प्यास ?

मल - मूत्र और पसीने के बहिर्गमन से देह का पानी उत्सर्जित होता है. 

रक्त और शरीर के उक्त्कों से सदैव मोजूद जल और लवन का अनुपात असंतुलित होने अथवा रक्त में जल की मात्रा कम होने की दशा में मस्तिक में उपस्थित व्यास केंद्र गले को सन्देश भेजता है. 

इस कारण गले में सिकुडन की निष्पति होती है. गला सूखने लगता है और हमें प्यास लगती है. 

No comments:

Post a Comment