बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए - बी. आर. अम्बेडकर

कितनी पेंसिलें ?



अपनी आँखें बन्द कर लो। अब अपने किसी दोस्त से कहो कि वह तुम्हें धीरे से पेंसिल की नोक से छुए, कभी एक पेंसिल से, कभी दो पेंसिलों से, दोनों पेंसिलें बहुत पास-पास पकड़ी जानी चाहिए। तुम्हारा दोस्त जब तुम्हें शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर छुए तो तुम्हें बताना है कि उसने एक पेंसिल से छुआ या दो से। वह तुम्हें इन जगहों पर छू सकता है- होंठ, पीठ, बाजू, उंगलियां, पैर, लातें।
क्या हुआ? क्या तुम हर बार सही-सही बता पाते हो कि पेंसिल एक थी या दो? तुम पाओगे कि तुम कई बार गलत बताते हो।

 तुम सही तभी बता पाओगे जब तुम्हें उन स्थानों पर छुआ जायेगा जहां पर तुम्हारी स्नायु तंत्रिकाएं (Nerve endings जो स्पर्श का संदेश मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं) ज्यादा घनी होती हैं- जैसे होंठ, हथेली आदि। बाकी जगहों पर जहाँ स्नायु दूर-दूर फैले होते हैं, अगर दो पेंसिल भी छुएंगी, तो भी तुम्हें एक ही पता लगेगी क्योंकि पास में दूसरा स्नायु होगा ही नहीं।
इस चित्र में ऊपरी शरीर के उन हिस्सों को बड़ा करके दिखाया गया है जहाँ स्नायु तंत्रिकाओं का जाल काफी घना है।

No comments:

Post a Comment