बच्चों का विकास एक जटिल एवं सतत प्रक्रिया है। उन्हें एक खास आयु में कार्य-विशेष करने में सक्षम होना चाहिए। ये विकासात्मक मील के पत्थर कहलाते हैं। एक माता या पिता होने के नाते, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कोई भी दो बच्चे समान रूप से विकसित नहीं होते। इसलिये, इस बारे में चिंता करना व्यर्थ है कि पड़ोस का बच्चा यह या वह कर सकता है, लेकिन उसका बच्चा नहीं। विभिन्न गतिविधियों के लिए दर्ज़ की गई आयु पर, बच्चे को कुछ समय तक ध्यान से देखना चाहिए।
यदि कुछ महीने बाद भी वह कोई विशेष गतिविधि प्रदर्शित नहीं करता हो, तो बाल-रोग विशेषज्ञ से परामर्श लिया जाना चाहिए। यह इस तथ्य को ध्यान में रखता है कि बच्चा अलग तरीके से व्यवहार कर रहा है क्योंकि वह बीमार या व्यथित है। कभी-कभी बच्चा कुछ क्षेत्रों में समान आयु के अन्य बच्चों की तुलना में अधिक धीमी गति से विकसित हो सकता है जबकि उसकी अन्य गतिविधियां दूसरे बच्चे से आगे हो सकती हैं। जबकि बच्चा चलना सीखने के लिए तैयार नहीं हो, तब उसे चलना सीखने के लिए विवश करने पर कोई नतीज़ा नहीं निकलेगा।
विकासात्मक विलम्ब के लिए त्वरित परख
- 2 महीने– मित्रवत मुस्कान
- 4 महीने– गर्दन सीधी रखने में सक्षम
- 8 महीने– बगैर सहारे के बैठना
- 12 महीने– खड़ा होना
जन्म से 6 हफ्तों तक
- बच्चा पीठ के बल लेटकर सिर एक ओर घुमाकर रखता है
- अचानक आवाज़ उसे चौंकाती है जिससे उसका शरीर कड़क हो जाता है
- मुट्ठियां भिंच जाती हैं
- बच्चा उसकी हथेली पर कोई चीज़ हल्के से छुआने पर उसे कसकर पकड़ लेता है;
- यह पकड़ की प्रतिक्रिया है