बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए - बी. आर. अम्बेडकर

महिला स्वास्थ्य - किशोर बालिका का स्वास्थ्य


किशोरावस्था


विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्लड हेल्थ आरगेनाइजेशन) किशोरावस्था को मनुष्य की आयु (10 से 19 वर्ष) औऱ उसके जीवन काल की व्याख्या करता है, जिसमें मनुष्य के शरीर में कुछ विशेष प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
  • शरीर का तेजी से बढ़ना और विकास होना 
  • शारीरिक, सामाजिक औऱ मनोवैज्ञानिक रूप से परिपक्व होना, लेकिन एक ही साथ नहीं।
  • सेक्स संबंधी परिपक्वता और सेक्स संबंधी गतिविधियां।
  • नये- नये अनुभव प्राप्त करना।
  • मानसिक अवस्था में व्यस्क लक्षणों की प्रगति और व्यस्कता के लक्षण।
  • संपूर्ण सामाजिक-आर्थिक निर्भरता से परिवर्तन सापेक्ष स्वतंत्रता पर निर्भर करती है।
यौवनावस्था

10 से 16 वर्ष के बीच यौवनावस्था की शुरुआत होती है, इस अवस्था में लड़कियां धीरे-धीरे बचपना से व्यस्कता की ओर बढ़ती हैं। इस दौरान शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। इनमें शारीरिक संरचना में बदलाव, स्वाभाव में परिवर्तन और जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। इस दौरान जो बदलाव होते हैं, ये निम्न हैं -
  • हाथ, पैर, बांह, घुटने से टखने तक का भाग, जांघ और छाति का आकार बढ़ जाता है। शरीर से विभिन्न प्रकार के हारमोन का रिसाव होने लगता है और ये एक विशेष प्रकार के रसायन होते हैं, जो शरीर के विकास और परिवर्तन में सहायक होते हैं।
  • शरीर के गुप्तांगों में वृद्धि होने लगेगा और उनसे रिसाव शुरू हो जायेगा।
  • त्वाचा पहले से तैलीय होने लगेगा।
  • कांख और पैर और हाथ के बगल में बाल उग आयेंगे।

पानी पर तैरती सुई



हमारी आम धरणा यह है कि लोहे जैसी धातुएं पानी में हमेशा डूब जाती हैं, लोहे के जहाज का पानी में तैरने का कारण उसका विशेष आकार है। लेकिन क्या जिसमें हवा उसे तैराने में अपनी भूमिका निभाती है। लेकिन क्या एक सुई पानी पर तैरेगी? डालकर देखो, वह फौरन डूब जाएगी, क्योंकि आर्कमिडीज़ के सिद्धान्त के अनुसार सुई का वजन उसके द्वारा हटाए गए पानी के वजन से ज्यादा है।
लेकिन एक तरीका है जिससे सुई को (और लोहे की छोटी-छोटी अन्य चीजों को) पानी पर तैराया भी जा सकता है।
एक सोख्ता कागज (ब्लाटिंग पेपर) का टुकड़ा लो। अगर यह कागज नहीं मिले तो बहुत खुरदूरे अखबार के टुकड़े को भी आजमा सकते हो (ऐसा अखबार जिस पर लिखने से स्याही फेलने लगती है)। अब इस छोटी, हल्की चीज़ रखो। इस कागज को बहुत धीरे से पानी पर तैराना है, पानी की सतह को बहुत हिलाए बिना। जैसा चित्र में दिखाया है, एक कांटे या चपटी सतह वाली चम्मच या प्लेट की मदद से ऐसा किया जा सकता है। तैरता हुआ सोख्ता कागज थोड़ी देर में पानी सोख कर भारी हो जाएगा और नीचे डूब जाएगा, पर सुई तैरती रहेगी।

बच्चों के लिए पर्यावरण मित्र नुस्खे



१. कागज़ की बर्बादी न करें- कागज़ के लिए हम वृक्ष काटते हैं। कागज़ की बचत से वृक्षों की सुरक्षा होती है।
२. पैदल चलें, साइकिल का उपयोग करें या बस से स्कूल जाएं। इससे ईंधन की बचत होती है एवं प्रदूषण घटता है।
३. नहाते समय एवं ब्रश करते समय पानी बंद करें। इससे पानी की बचत होती है।
४. स्कूल में जैव बगीचा लगाएं एवं उसके लिए कम्पोस्ट बनाएं। इससे आप प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावकारी उपयोग को सीख सकते हैं।
५. उपयोग न होने की स्थिति में लाईट तथा उपकरण/ इलेक्ट्रॉनिक्स बंद कर दें। इससे बिजली की बचत होती है।
६. मौसमी फल खाएं। आप प्रकृति सुरक्षित रखते हैं एवं पैसों की बचत भी करते हैं।
७. वृक्षारोपण करें। वे आपके पर्यावरण को हरा-भरा तथा स्वस्थ रखते हैं।

दुनिया के 7 आश्चर्यों छवियाँ

चिचेन इत्ज़ा में पिरामिड (800 ई. पू.) युकातान प्रायद्वीप, मैक्सिको















विश्व के 7 नए आधिकारिक अजूबे

चिचेन इत्ज़ा में पिरामिड (800 ई. पू.) युकातान प्रायद्वीप, मैक्सिको


अत्यंत प्रसिद्ध मायान मंदिर का शहर, चिचेन इत्ज़ा, मायान सभ्यता का राजनीतिक और आर्थिक केंद्र था। इसकी विभिन्न संरचनाओं में – कुकुल्कान का पिरामिड, चक मूल का मंदिर, हजार खंभों का हॉल, और कैदियों के खेल का मैदान - आज भी देखे जा सकते हैं और वास्तुशिल्प के क्षेत्र तथा रचना करने की असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। खुद पिरामिड सभी मायान मन्दिरों में से अंतिम और यकीनन सबसे बड़ा था।


मसीह उद्धारक (1931) रियो डी जनेरियो, ब्राज़ील


यीशु की यह मूर्ति 38 मीटर ऊंची है, जो कोर्कोवाडो पहाड़ पर है, जिससे पूरा रियो डी जनेरियो दिखता है। ब्राजील के हैटर कोस्टा डी सिल्वा द्वारा डिज़ाइन की गई और फ्रेंच मूर्तिकार पॉल लैंडोव्स्की द्वारा बनाई गई, यह मूर्ति दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। इस प्रतिमा के निर्माण में पांच साल लगे और इसका उद्घाटन 12 अक्टूबर 1931 को किया गया था। यह ब्राजील शहर और उसके लोगों, जो खुली बांहों से आगंतुकों का स्वागत करते हैं, का एक पहचान चिह्न बन गई है।

कितनी पेंसिलें ?



अपनी आँखें बन्द कर लो। अब अपने किसी दोस्त से कहो कि वह तुम्हें धीरे से पेंसिल की नोक से छुए, कभी एक पेंसिल से, कभी दो पेंसिलों से, दोनों पेंसिलें बहुत पास-पास पकड़ी जानी चाहिए। तुम्हारा दोस्त जब तुम्हें शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर छुए तो तुम्हें बताना है कि उसने एक पेंसिल से छुआ या दो से। वह तुम्हें इन जगहों पर छू सकता है- होंठ, पीठ, बाजू, उंगलियां, पैर, लातें।
क्या हुआ? क्या तुम हर बार सही-सही बता पाते हो कि पेंसिल एक थी या दो? तुम पाओगे कि तुम कई बार गलत बताते हो।

आवाज से मोमबत्ती बुझाना



आमतौर पर हम ध्वनि को आगे चलते देख नहीं सकते। लेकिन इस प्रयोग से तुम यह देख सकते हो कि ध्वनि हवा के जरिये कंपन की तरह आगे बढ़ती है। एक प्लास्टिक की बोतल का तला काट दो। अब एक पतले प्लास्टिक के लिफाफे का टुकड़ा काटकर उसे बोतल के इस खुले सिरे पर कस कर तान दो। रबड़ बैंड से इसे अच्छी तरह कस दो।

अब एक मोमबत्ती जलाओ। अब बोतल के मुंह को मोमबत्ती से करीब एक इंच दूरी पर रखो। अब प्लास्टिक की परत पर अपनी उंगलियों से जोर से थपथपाओ। मोमबत्ती की लौ को क्या हुआ?

ठंडी उंगलियाँ




एक बर्तन में कुछ बर्फ के टुकड़े डालो। बर्तन के बगल में कुछ चावल के दाने बिखरा दो। अब अपना एक हाथ इस बर्तन में डालो और धीरे से 30 तक गिनती गिनो। अब अपने हाथ को सुखाकर इन्हीं ठंडी उंगलियों से चावल के दानों को उठाने की कोशिश करो क्या हुआ?
तुम देखोगे कि चावल को उठाना कठिन होगा क्योंकि जब तुम्हारी चमड़ी ठंडी हो जाती है तो तुम्हारी छूने की क्षमता इतना अच्छा काम नहीं करती।

डोरी के जरिये सुनना



शायद तुमने सुना होगा कि ध्वनि तरंगें ठोस चीजों के जरिये आसानी से चल सकती हैं। इसे खुद महसूस करने के लिये यह प्रयोग करके देखो।

दो प्लास्टिक या कागज के कप (जैसे आइसक्रीम वाले) या माचिस की डब्बी के अंदर वाला हिस्सा लो। हर कप के चपटे बंद सिरे में एक छेद करो। इस छेद के जरिये एक डोरी पिरोकर उसमें एक गाँठ लगा दो।

अब एक कप को तुम पकड़ो और दूसरे को एक दोस्त को पकड़ा दो। डोरी किसी और चीज को न छुए।

जीवन अनमोल है


धूमकेतु


  • सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु (Comet)या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
  • Comet शब्द, ग्रीक शब्द komētēs से बना है जिसका अर्थ होता है Hairy one बालों वाला। यह इसी तरह दिखते हैं इसलिये यह नाम पड़ा।
  • धूमकेतु या पुच्छल तारे ( Comet ), चट्टान ( Rock ), धूल ( Dust ) और जमी हुई गैसों ( Gases ) के बने होते हैं। सूर्य के समीप आने पर, गर्मी के कारण, जमी हुई गैसें और धूल के कण सूर्य से विपरीत दिशा में फैल जाते हैं और सूर्य की रोशनी परिवर्तित कर चमकने लगती हैं। इस समय इनकी आकृति को दो मुख्य भागों, सिर तथा पूँछ में बांट सकते हैं। सिर का केंद्र अति चमकीला होता है। यह इसका नाभिक ( Nucleus ) कहलाता है। सूर्य की विपरीत दिशा में बर्फ़ और धूल का चमकीला हिस्सा पूँछ की तरह से लगता है। इसे कोमा ( Coma ) कहा जाता है। यह हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में रहता है। धूमकेतु की इस पूँछ के कारण इसे पुच्छल तारा भी कहते हैं।