किशोरावस्था
विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्लड हेल्थ आरगेनाइजेशन) किशोरावस्था को मनुष्य की आयु (10 से 19 वर्ष) औऱ उसके जीवन काल की व्याख्या करता है, जिसमें मनुष्य के शरीर में कुछ विशेष प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- शरीर का तेजी से बढ़ना और विकास होना
- शारीरिक, सामाजिक औऱ मनोवैज्ञानिक रूप से परिपक्व होना, लेकिन एक ही साथ नहीं।
- सेक्स संबंधी परिपक्वता और सेक्स संबंधी गतिविधियां।
- नये- नये अनुभव प्राप्त करना।
- मानसिक अवस्था में व्यस्क लक्षणों की प्रगति और व्यस्कता के लक्षण।
- संपूर्ण सामाजिक-आर्थिक निर्भरता से परिवर्तन सापेक्ष स्वतंत्रता पर निर्भर करती है।
यौवनावस्था
10 से 16 वर्ष के बीच यौवनावस्था की शुरुआत होती है, इस अवस्था में लड़कियां धीरे-धीरे बचपना से व्यस्कता की ओर बढ़ती हैं। इस दौरान शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। इनमें शारीरिक संरचना में बदलाव, स्वाभाव में परिवर्तन और जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। इस दौरान जो बदलाव होते हैं, ये निम्न हैं -
- हाथ, पैर, बांह, घुटने से टखने तक का भाग, जांघ और छाति का आकार बढ़ जाता है। शरीर से विभिन्न प्रकार के हारमोन का रिसाव होने लगता है और ये एक विशेष प्रकार के रसायन होते हैं, जो शरीर के विकास और परिवर्तन में सहायक होते हैं।
- शरीर के गुप्तांगों में वृद्धि होने लगेगा और उनसे रिसाव शुरू हो जायेगा।
- त्वाचा पहले से तैलीय होने लगेगा।
- कांख और पैर और हाथ के बगल में बाल उग आयेंगे।