शायद तुमने सुना होगा कि ध्वनि तरंगें ठोस चीजों के जरिये आसानी से चल सकती हैं। इसे खुद महसूस करने के लिये यह प्रयोग करके देखो।
दो प्लास्टिक या कागज के कप (जैसे आइसक्रीम वाले) या माचिस की डब्बी के अंदर वाला हिस्सा लो। हर कप के चपटे बंद सिरे में एक छेद करो। इस छेद के जरिये एक डोरी पिरोकर उसमें एक गाँठ लगा दो।
अब एक कप को तुम पकड़ो और दूसरे को एक दोस्त को पकड़ा दो। डोरी किसी और चीज को न छुए।
अब तुम दोनों में से एक अपने कप को मुंह से लगाकर धीमे-धीमे बोले और उसे अपने कान से लगाकर सुने। क्या तुम्हें एक दूसरे की आवाज सुनाई देती है?
क्या हुआ? तुम्हें अपने दोस्त की आवाज इसलिये सुनाई देती है क्योंकि ध्वनि तरंगें डोरी के जरिये दूसरे तक पहुंच रही हैं।
ध्वनि हवा के बजाय ठोस वस्तुओं के जरिए बेहतर आगे जाती है। अगर इसका सबूत चाहिए तो किसी मेज पर धीरे से अपनी उंगली से टकटका कर उसकी आवाज हवा के जरिये सुनो। अब उसी मेज पर अपना कान लगा कर टकटकाओ और देखो आवाज कैसी सुनाई देती है।
No comments:
Post a Comment