आम तोर पर बिजली के खंभों वाली तारो पर हम कबूतरों, चिड़िया आदि पशियो को
बैठे देखते है येसे में बरबस ही सवाल उठता है की प्रवाहित तारो पर बैठे
होने के बावजूद इन्हें करेंट क्यों नहीं लगता ?
इसके लिए हमें यह जानना जरुरी हो जाता है की करेंट होता क्या है और कैसे लगता है?
उच्च वोल्टेज लाइनों के साथ संपर्क में आने से शरिर के माध्यम से
विघुत धारा के प्रवाहित हो जाने पर एक जबरदस्त अभिघात होता है.
फलस्वरूप
जलने और हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है.
इस स्थिति में करेंट की
चपेट में आने वाले जीव की मुत्यु भी हो जाती है. जीवों का शरीर विघुत का
सुचालक होता है.
एक पक्षी किसी बिजली लाइन पर खड़ा है और वह एक ही कंडक्टर
से जुड़ा है तो उसके शरीर से विघुत धारा का प्रवाह नहीं होता.
परन्तु जैसे
ही वह दूसरी तर को छुएगा तो विघुत परिपथ पूरा हो जायगा और पक्षी के शरीर
में उच्च वोल्ट का प्रवाह होने से उसे करेंट लग जायेगा.
इसी कारण हाक, इगल
और अन्य बड़े पक्षी हजारों की संख्या में बिजली लाइनों से उलज कर करेंट
लगने से हर साल मर जाते है.
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