किसने किया परमाणु बम का अविष्कार ?
परमाणु बम के बारे में हम कई बार सुनते है, पढ़ते है, इससे कितना विनाश हो सकता है, यह भी हम समझ सकते है.
परमाणु बम के बारे में पढ़ते या सुनते समय हमारे जेहन में यह सवाल उठाना स्वाभाविक है की यह खतरनाक अविष्कार कब और किसने किया होगा. इसका पहला परिक्षण कहा हुआ होगा.?
दो अगस्त १९३९ को दुसरे विश्वयुध्द के ठीक पहले जाने - माने वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्स्टाइन ने अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैकलिन डी रूजवेल्ट को एक पत्र लिखा था.
राज सूरज के धधकने का
क्या आप जानते है की ब्रम्हांड ऑक्सीजन विहीन है और किसी भी चीज के जलने के लिए ऑक्सीजन सबसे जरुरी होता है. फिर भला ऑक्सीजन विहित ब्रम्हांड में भी सूरज में बरसों से आग कैसे धधक रही है.
दरअसल, किसी भी चीज के जलने की लिए सारी प्रक्रिया किसी एक इधन (तेल, कोयला, लकड़ी,) तथा ऑक्सीजन के बिच ही होती है.
लेकिन सूरज में आग का धधकना इन प्रक्रियाओ से बिलकुल भिन्न होता है.
धुल भी बड़े काम की है.
धुल |
धुल के विषय में अक्सर जो लोग नहीं जानते उनकी यही धरना होती है की यह हमारे किसी काम नहीं आती जबकि धुल हमारे लिए बहुत उपयोगी है.
लेकिन इसकी उपयोगिता समज़ने से पहले यह जानना जरुरी है की धुल आखिर है क्या और यह पैदा कैसे होती है?
धुल सिर्फ मिटटी नहीं होती, वास्तव में प्रत्येक ठोस पदार्थ बहुत ही सुष्म कणों से मिलकर बनता है.
कैसे प्यासा रह पाता है ऊंट ?
हमारे जीवन में पानी का क्या महत्व है ये मुझे बताने की जरुरत नहीं है. पर क्या आपने कभी सोचा है की,
ऊंट बिना पानी पिए लम्बे समय तक जीवित रह सकता है..
क्या आप बता सकते है की एसा कैसे हो पाता है? दरअसल माना जाता है की ऊंट के पेट की थैली में एक ही बार में कई दिनों के लिए पानी भर लेने की शमता होती है.
लेकिन वास्तव में एसा कुछ नहीं है.
ठण्ड से क्यों होती है कंपकपी ?
दोस्तों सर्दियों में जब शीत शहर के दोर चलते है, तो ठण्ड के मारे हमारा शरीर कापने लगता है.
आखिर हमारा शरीर ठण्ड से क्यों कपकंपता है?
आखिर हमारा शरीर ठण्ड से क्यों कपकंपता है?
आओ, यही कुछ जानते है, जाड़े में हम अपने बदन को गरमास देने के लिए उनी कपडे धारण करते है,
उनी कपड़ो की वजैसे हमारी मांसपेशिया सक्रीय होती है, हो शरीर में गरमाहट आ जाती है.
आतिशबाजी रंगीन क्यों दिखती है..?
दोस्तों पहले तो आप सभी को दिवाली है हार्दिक शुभकामना
दोस्तों दिवाली आई है और खुशिया साथ लाई है... हम सब दिवाली पर माँ लक्ष्मी की पूजा करते है.. और फटाके, फुल्जलिया जलाते है...
दिवाली के दिन हम सब आतिशबाजी करते है पर आपने कभी सोचा है की आतिशबाजी रंगीन क्यों दिखाती है.?
चलो दोस्तों आप सभी को में बताताहुकी की आतिशबाजी रंगीन क्यों दिखती है... आतिशबाजी में स्तोंरियम या बेरियम नाम की धातुये मिलायी जाती है.
आपके लिए कुछ ज्ञान के मोती
दुनिया का सबसे विशाल महल चीन का शाही महल है, जो बीजिंग के बिच १७८ एकड़ भूमि पर स्थित है.
दुनिया की सबसे लम्बी सुरंग लन्दन मोर्डन से ईस्ट फिंचले के बिच बनी हुई है. इसकी लम्बाई १० मिल ५२८ गज है.
भवन निर्माण सामग्री को मजबूत बनाने के लिए सीमेंट में शक्कर भी मिलाई जाती है
घडी के अन्दर रात में चमकने वाला पदार्थ रेडियम होता है..
संसार के सबसे प्राचीन विश्व विद्यालय का नाम पमिया विद्यालय है..
पैसा बोलता है ? और नकली नोटोंसे बचाता है.....
दोस्तों आप तो जानते ही है की आज की दुनिया में पैसे की कितनी जरुरत होती है.... अगर आपके रुपयों में १०००/- का नकली नोट आ जाये तो कितना नुकसान होता है...
आज जहा वहा मिलावट और नकली का जमाना है...... मैं एक दोस्त की हैसियत से आप को नोलेज ही नहीं देता बल्कि आप को नकली और मिलावटी से बचाना चाहता हु.....
आज में आप के लिए एक एसी गवर्नमेंट वेबसाइट लाया हु... जो आप को हर एक नोट मतलब १०/- , २०/- ५०/-, १००/-, और १०००/- रुपयों के नकली नोटों से बचाता है..
सोना महंगा क्यों होता है ?
सोना प्राचीन काल से ही बहुत महंगा रहा है. उसकी वजह यह है की सोना हमेशा से वैभव की वस्तु रही है, देवी- देवताओ की मुर्तिया सोने की बनायीं जानी है. तो रजा महाराजो के मुकुट भी सोने से बनते रहे है.. इसलिए सोने को लेकर हमेशा से लोगों में आकर्षण रहा है जिससे वह महंगा रहा है.
किसी वस्तु के आकर्षण और महंगा होने के चार बड़े कारन होते है. वह दुर्लभ हो, वह बहुत उपयोगी हो, वह बहुत सुन्दर हो और उस पर सर्दी, गर्मी, हवा, पानी, नमी आदि किसी का असर न पड़ता हो. सोने की साथ ये सारी बातें लागू होती है.
किसी वस्तु के आकर्षण और महंगा होने के चार बड़े कारन होते है. वह दुर्लभ हो, वह बहुत उपयोगी हो, वह बहुत सुन्दर हो और उस पर सर्दी, गर्मी, हवा, पानी, नमी आदि किसी का असर न पड़ता हो. सोने की साथ ये सारी बातें लागू होती है.
महापुरुषों के पिता के नाम
दोस्तों आप को तो पताही है की महापुरुषों के नाम पर कभी आपने उनके पिता के नाम जानने की कोशिश की है.....
तो आज की पोस्ट उन सब महापुरुषों के पिता के नाम.......
श्रीराम - राजा दशरथ
श्रीकृष्ण - वासुदेवजी
भक्त ध्रुव - राजा उत्तानपाद
भक्त प्रह्लाद - राजा हिरन्याकश्यप
भरत - राजा दुष्यंत
गौतम बुध्द - राजा शुध्दोधन
गुरुनानक - कालुचंद
रानी लक्ष्मीबाई - मोरोपंत
श्रीकृष्ण - वासुदेवजी
भक्त ध्रुव - राजा उत्तानपाद
भक्त प्रह्लाद - राजा हिरन्याकश्यप
भरत - राजा दुष्यंत
गौतम बुध्द - राजा शुध्दोधन
गुरुनानक - कालुचंद
रानी लक्ष्मीबाई - मोरोपंत
तिरुपति मंदिर
हेल्लो दोस्तों..... कुछ परशानिया थी इसलिए लेख लिख नहीं पाया.....
चलो अब सारी परेशानिया दूर हो गई है...
चलो अब सारी परेशानिया दूर हो गई है...
चलो आज के लेख पर चले....... आज में आप को कुछ तिरुपति मंदिर के बारे में बताना चाहता हु.....
तिरुपति के वेंकटेश्वर मदिर का निर्माण किसने और कब किया इसके बारे में कोई एकमत नहीं है.
लेकिन ५०० वर्ष इसा पूर्व से लेकर सन ३०० के बीच इसका निर्माण किया गया...
क्यों और केसे
नाख़ून काटने में दर्द क्यों नहीं होता?
नाख़ून मृत कोशिकाओं से बने होते है. नाख़ून में रुधिर कोशिकाए न होने से काटने पर दर्द नहीं होता.
एक विशाल जहाज पानी में तैरता रहता है किन्तु ब्लेड पानी में डूब जाता है क्यों.?
जहाज लोहे की चादर से इस प्रकार बनाया जाता है की इसके अन्दर काफी खाली जगह होती है. इस कारण इसके थोड़े से ही डुबे भाग द्वारा हटाये गए पानी का भार जहाज, यात्रियों और सामान आदि के भर के बराबर हो जाता है.. अतः जहाज पानी पर तैरता है. इसके विपरीत ब्लेड द्वारा हटाये गए पानी का भर ब्लेड के भार से कम होता है.. अतः ब्लेड पानी में डूब जाता है.
नाख़ून मृत कोशिकाओं से बने होते है. नाख़ून में रुधिर कोशिकाए न होने से काटने पर दर्द नहीं होता.
एक विशाल जहाज पानी में तैरता रहता है किन्तु ब्लेड पानी में डूब जाता है क्यों.?
जहाज लोहे की चादर से इस प्रकार बनाया जाता है की इसके अन्दर काफी खाली जगह होती है. इस कारण इसके थोड़े से ही डुबे भाग द्वारा हटाये गए पानी का भार जहाज, यात्रियों और सामान आदि के भर के बराबर हो जाता है.. अतः जहाज पानी पर तैरता है. इसके विपरीत ब्लेड द्वारा हटाये गए पानी का भर ब्लेड के भार से कम होता है.. अतः ब्लेड पानी में डूब जाता है.
गणेश - विघ्नहर्ता
दोस्तों आप सभी को गणेश चतुर्थीकी हार्दिक शुभकामनाये और आपसे वादा करता हु की आज से सारे लेख में खुद लिखुगा....आज में आपको गणपति के बारे के कुछ बताना चाहता हु....
विघ्न बाघाओं को दूर करने और बुध्दी को सही मार्ग पर रखने वाली इश्वरी शक्ति का नाम है गणपति.
गणपति जी का चित्र कुछ अजीब सा है.. हाथी के समान मुख, वक्रतुंड, एकदंत, मोटा पेट और वाहन चूहा.
उनका यह चित्र मनोवैज्ञानिक तत्वों से परिपूर्ण है.. वास्तव में इश्वर एक है और वह निराकार है, पर उस निराकार इश्वर का अनुभव योगी - रूशी, मुनि अपनी कुशाग्र बुघ्दी से कर सकते है, उस एक इश्वर की अनेक शक्तिया है, ये नाना शक्तिया ही हमारे तैतीस करोड़ देवी- देवता है.. प्रत्येक देवी-देवता एक मुख्य शक्ति का प्रतिक और मूर्तरूप है, आएये,
बुघ्दी को सन्मार्ग पर स्थिर रखने वाली शक्ति गणपति के स्वरुप के बारे में विचार करे---उनका हाथी जैसा चोंडा मस्तक विवेक को प्रकट करता है.. जो मनुष्य को सोच- समजकर काम करने की प्रेरणा देता है..
.
हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और होते है. ये दांत यह प्रकट करते है की अपने काम में विघ्न न चाहने वाले व्यक्ति को चाहिए की वह सज्जन पुरुषो से तो उदारता का व्यवहार करे ही, पर अकारण हुए शत्रुओं से सावधान रहते हुए अपना खुला विरोध न प्रकट होने दे, बल्कि दिखावे के दातो की तरह बाह्य व्यवहार शिष्ट रखे.
ईंधन
(Fuel) वह पदार्थ, जो हवा में जलकर बगैर अनावश्यक उतपाद के ऊष्मा उत्पन्न करता है, ईंधन कहलाता है।
एक अच्छे ईंधन के निम्नमिखित गुण होने चाहिए -
- वह सस्ता एवं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
- उसका ऊष्मीय मान उच्च होना चाहिए।
- जलने के बाद उससे अधिक मात्रा में अवशिष्ट होना चाहिए।
- जलने के दौरान या बाद कोई हानिकारक पदार्थ नहीं होना चाहिए।
- उसका जमाव, परिवह्न आसान होना चाहिए।
- उसका जलना नियंत्रित होना चाहिए।
- उसका प्रज्वलन ताप निम्न होना चाहिए।
COMPUTER
Commonly Operating Machine Particularly Used for Trade, Education & Research
A computer is a machine that manipulates data according to a list of instructions. Computer can access & process data millions of times faster than humans can. A computer can store data & information in its memory, process them & produce the desired results. Computer can do a lot of different tasks such as playing games, railway reservation etc.
चीन की दीवार
- चीन की यह दीवार आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। और उसके छविया
- चीन की यह दीवार 5वीं सदी ईसा पूर्व में बननी चालू हुई थी और 16 वीं सदी तक बनती रही।
- यह दीवार चीन की उत्तरी सीमा पर बनाई गयी थी ताकि मंगोल आक्रमणकारियों को रोका जा सके।
- चीन की यह दीवार संसार की सबसे लम्बी मानव निर्मित रचना है। जो लगभग 4000 मील (6,400 किलोमीटर) तक फैली है।
- अंतरिक्ष से लिये गये पृथ्वी के चित्रों में भी यह नज़र आती है।
- चीन की इस दीवार की चौड़ाई इतनी रखी गयी थी जिसपर 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक बगल-बगल में गश्त लगा सकें। इसकी सबसे ज्यादा ऊँचाई 35 फुट है।
रक्षाबन्धन
भाई - बहन के प्रेम व रक्षा का त्योहार
होली, दीवाली और दशहरे की तरह यह भी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन का अर्थ है (रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। इसीलिए राखी बांधते समय बहन कहती है - 'भैया! मैं तुम्हारी शरण में हूँ, मेरी सब प्रकार से रक्षा करना।' आज के दिन बहन अपने भाई के हाथ में राखी बांधती है और उन्हें मिठाई खिलाती है। फलस्वरूप भाई भी अपनी बहन को रुपये या उपहार आदि देते हैं। रक्षाबंधन स्नेह का वह अमूल्य बंधन है जिसका बदला धन तो क्या सर्वस्व देकर भी नहीं चुकाया जा सकता।
अयन
- अयन' का अर्थ होता है चलना।
- पूरे वर्ष में सूर्य गतिमान रहता है, सूर्य की अवस्था से ही ॠतुओं का निर्धारण होता है।
- हिन्दू धर्म में अयन 'समय प्रणाली' है जिससे ॠतुओं का ज्ञान होता है।
- क्रांति वृत के प्रथम अंश का विभाजन उत्तर और दक्षिण गोल के मध्यवर्ती धुर्वों के द्वारा माना गया है। यह विभाजन "उत्तरायन" और "दक्षिणायन" कहलाता है।
- एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन देवता का एक दिन होता है. 360 अयन देवता का एक वर्ष बन जाता है।
- सूर्य की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहते हैं। अयन दो होते हैं-
Happy Frindshi Day एक दिन दोस्ती के नाम...
दोस्तों, सोचिए अगर हमारे दोस्त न होते तो यह दुनिया कितनी बेरंग होती। जिंदगी में खुशियों के रंग भरने वाला हसीन रिश्ता है - दोस्ती।
हम किस घर में जन्म लेंगे, हमारे माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-ताऊ कौन होंगे, कैसे होंगे, इनमें से कुछ भी हमारे हाथों में नहीं है। इन सभी रिश्तों के बंधन में ईश्वर खुद हमें बाँधकर इस धरती पर भेजता है।
इसके बावजूद ईश्वर ने एक ऐसे खूबसूरत रिश्ते की बागडोर पूरी तरह से हमारे हाथों में सौंप दी है, जिसके साथ हमारे जीवन की सारी खुशियाँ और सारे गम जुड़े होते हैं। ईश्वर ने हमें पूरी स्वतंत्रता दी है कि हम अपने दोस्त खुद बनाएँ और यह रिश्ता जैसे चाहे, वैसे निभाएँ।
इस प्यार भरे रिश्ते को सम्मान दिलाने के लिए अमेरिका में कुछ लोगों ने एक दिन दोस्ती के नाम करना तय किया। उनकी कोशिशें रंग लाईं और सन् 1935 में अमेरिका में अगस्त के पहले रविवार को आधिकारिक रूप से फ्रेंडशिप डे (मित्रता दिवस) घोषित किया गया। पिछले 72 सालों में फ्रेंडशिप डे ने अमेरिका की सरहदों को लाँघकर पूरे विश्व में अपना स्थान बना लिया है। जिस तरह से दोस्ती का जज्बा हर दिल में होता है, वैसे ही फ्रेंडशिप डे भी दुनिया के हर मुल्क में मनाया जाने लगा।
राशन कार्ड के लिए आवेदन करना
राशन कार्ड क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
राशन कार्ड एक दस्तावेज है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित दर की दुकानों के आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए प्रयोजन से राज्य सरकार के आदेश से प्राधिकार से जारी किया जाता है। राज्य सरकार गरीबी रेखा के ऊपर, गरीबी रेखा के नीचे और अन्तोदय परिवारों के लिए विशिष्ट राशन कार्ड जारी करती है और राशन कार्डों की समय समय पर समीक्षा एवं जांच करती है।राशन कार्ड भारतीय नागरिकों के लिए बहुत ही उपयोगी दस्तावेज है। यह सब्सिडी दर पर अनिवार्य वस्तुएं खरीदने में सहायता करके पैसे बचाने में मदद करता है।
आजकल यह पहचान का भी अनिवार्य साधन बन गया है। जब आप अन्य दस्तावेजों के लिए आवेदन करते हैं जैसे निवास स्थान का प्रमाणपत्र, अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करने आदि के लिए, तो आप पहचान के प्रमाण के रूप में राशन कार्ड की प्रति दर्शा सकते हैं।
गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार नीला कार्ड के लिए हकदार होते हैं, जिसके तहत के विशेष सब्सिडी ले सकते है। स्थायी राशन कार्ड के अतिरिक्त राज्य अस्थायी राशन कार्ड भी जारी करता है, जो विनिर्दिष्ट माहों की अवधि के लिए वैध होते है, और ये राहत के प्रयोजनों से जारी किए जाते हैं।
प्रेमचंद
- भारत के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद (जन्म- 31 जुलाई, 1880 - मृत्यु- 8 अक्टूबर, 1936) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।
- प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब हिन्दी में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ।
जन्म
प्रेमचंद का जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर, लमही नाम के गाँव में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी मुंशी अजायब लाल और माता आनन्दी देवी थीं। प्रेमचंद का बचपन गाँव में बीता था। वे नटखट और खिलाड़ी बालक थे और खेतों से शाक-सब्ज़ी और पेड़ों से फल चुराने में दक्ष थे। उन्हें मिठाई का बड़ा शौक़ था और विशेष रूप से गुड़ से उन्हें बहुत प्रेम था। बचपन में उनकी शिक्षा-दीक्षा लमही में हुई और एक मौलवी साहब से उन्होंने उर्दू और फ़ारसी पढ़ना सीखा। एक रुपया चुराने पर ‘बचपन’ में उन पर बुरी तरह मार पड़ी थी। उनकी कहानी, ‘कज़ाकी’, उनकी अपनी बाल-स्मृतियों पर आधारित है। कज़ाकी डाक-विभाग का हरकारा था और बड़ी लम्बी-लम्बी यात्राएँ करता था। वह बालक प्रेमचंद के लिए सदैव अपने साथ कुछ सौगात लाता था। कहानी में वह बच्चे के लिये हिरन का छौना लाता है और डाकघर में देरी से पहुँचने के कारण नौकरी से अलग कर दिया जाता है। हिरन के बच्चे के पीछे दौड़ते-दौड़ते वह अति विलम्ब से डाक घर लौटा था। कज़ाकी का व्यक्तित्व अतिशय मानवीयता में डूबा है। वह शालीनता और आत्मसम्मान का पुतला है, किन्तु मानवीय करुणा से उसका हृदय भरा है।भारत के पशु पक्षी
साँचा:भारत पृष्ठ पशु पक्षी
वन्य जीवन प्रकृति की अमूल्य देन है। भविष्य में वन्य प्राणियों की समाप्ति की आशंका के कारण भारत में सर्वप्रथम 7 जुलाई, 1955 को वन्य प्राणी दिवस मनाया गया । यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष दो अक्तूबर से पूरे सप्ताह तक वन्य प्राणी
सप्ताह मनाया जाएगा। वर्ष 1956 से वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। भारत के संरक्षण कार्यक्रम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मज़बूत संस्थागत ढांचे की रचना की गयी है । जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, बोटेनिकल सर्वे आफ इण्डिया जैसी प्रमुख संस्थाओं तथा भारतीय वन्य जीवन संस्थान, भारतीय वन्य अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी तथा सलीम अली स्कूल ऑफ आरिन्थोलॉजी जैसे संस्थान वन्य जीवन संबंधी शिक्षा और अनुसंधान कार्य में लगे हैं। भारत कई प्रकार के जंगलों जीवों का, अनेक पेड़ पौधों और पशु-पक्षियों का घर है। शानदार हाथी, मोर का नाच, ऊँट की सैर, शेरों की दहाड़ सभी एक अनोखे अनुभव है। यहाँ के पशु पक्षियों को अपने प्राकृतिक निवासस्थान में देखना आनन्दायक है। भारत में जंगली जीवों को देखने पर्यटक आते हैं। यहाँ जंगली जीवों की बहुत बड़ी संख्या है। भारत में 70 से अधिक राष्ट्रीय उद्यान और 400 जंगली जीवों के अभयारण्य है और पक्षी अभयारण्य भी हैं।
बल्ब का खरगोश
अगर घर पर एक सुन्दर खरगोश बनाना चाहते हो तो यह आजमाओ।
तुम्हें चाहिए : फ्यूज बल्ब, रुई, गोंद, काली मिर्च के दाने, कैंची, कुछ बिन्दियां। एक बल्ब लेकर उस पर पूरी तरह रूई चिपकाओ। उसका कोई हिस्सा खुला नहीं रहना चाहिये। खरगोश के मुंह की ओर थोड़ी ज्यादा रुई चिपकाओ। इसके बाद रूई के दो टुकड़ों को कैंची की मदद से खरगोश के कानों के आकार में काटो। इन कानों को खरगोश के सिर पर चिपका दो। इसके बाद खरगोश के पैरों की जगह पर चार रुई के गोले चिपकाओ। एक गोला पूंछ की जगह भी चिपकाओ।
अगर खरगोश की मूंछे बनानी हैं तो मुंह के आगे झाड़ू की पतली सींके या रेशे चिपका दो। आंखों के लिये दो काली मिर्च के दाने चिपकाने होंगे। मुंह की जगह काले या लाल कागज से या फिर एक बड़ी बिन्दी से चन्द्र का आकार काट कर चिपका दो। तुम्हारा खूबसूरत, प्यारा सा खरगोश तैयार है।
भारत के बारे में रोचक तथ्य
- भारत ने अपने आखिरी 100000 वर्षों के इतिहास में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है।
- जब कई संस्कृतियों में 5000 साल पहले घुमंतू वनवासी थे, तब भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
- भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इंडस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा।
- ईरान से आए आक्रमणकारियों ने सिंधु को हिंदु की तरह प्रयोग किया। ‘हिंदुस्तान’ नाम सिंधु और हिंदु का संयोजन है, जो कि हिंदुओं की भूमि के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।
- शतरंज की खोज भारत में की गई थी।
- बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का अध्ययन भारत में ही आरंभ हुआ था।
- ‘स्थान मूल्य प्रणाली’ और ‘दशमलव प्रणाली’ का विकास भारत में 100 बी सी में हुआ था।
- विश्व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़ों से बने हैं। यह भव्य मंदिर राजाराज चोल के राज्य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश तथा प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।
गुलमोहर
गुलमोहर एक सुगंन्धित पुष्प है। गुलमोहर मडागास्कर का पेड़ है। सोलहवीं शताब्दी में पुर्तग़ालियों ने मडागास्कर में इसे देखा था। प्रकृति ने गुलमोहर को बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से बनाया है, इसके हरे रंग की फर्न जैसी झिलमिलाती पत्तियों के बीच बड़े-बड़े गुच्छों में खिले फूल इस तरीके से शाखाओं पर सजते है कि इसे विश्व के सुंदरतम वृक्षों में से एक माना गया है।
इतिहास
फ्रांसीसियों ने गुलमोहर को सबसे अधिक आकर्षक नाम दिया है उनकी भाषा में इसे स्वर्ग का फूल कहते हैं। वास्तव में गुलमोहर का सही नाम 'स्वर्ग का फूल' ही है। भारतमें इसका इतिहास क़रीब दो सौ वर्ष पुराना है। संस्कृत में इसका नाम 'राज-आभरण' है, जिसका अर्थ राजसी आभूषणों से सज़ा हुआ वृक्ष है। गुलमोहर के फूलों से श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा के मुकुट का श्रृंगार किया जाता है। इसलिए संस्कृत में इस वृक्ष को 'कृष्ण चूड' भी कहते हैं।
युग
भारतीय ज्योतिष और पुराणों की परंपरा के आधार पर सृष्टि के संपूर्ण काल को चार भागों में बांटा गया है-
- सत युग,
- त्रेता युग,
- द्वापर युग और
- कलि युग।
इस काल विभाजन को कुछ लोग जीवन की स्थितियों की लाक्षणिक अभिव्यक्ति मानते हैं। उनके अनुसार सोता हुआ कलि है, जम्हाई लेता हुआ द्वापर, उठता हुआ त्रेता और चलता हुआ सतयुग है। प्राचीन काल में युगों के अतिरिक्त काल का विभाजन युग, मन्वंतर और कल्प के क्रम से भी होता रहा है।
सत युग
चार प्रसिद्ध युगों में सतयुग पहला है। इसे कृतयुग भी कहते हैं। इसका आरंभ अक्षय तृतीया से हुआ था। इसका परिमाण 17,28,000 वर्ष है। इस युग में भगवान के मत्स्य अवतार , कूर्म अवतार, वराह अवतारऔर नृसिंह अवतार ये चार अवतार हुए थे। उस समय पुण्य ही पुण्य था, पाप का नाम भी न था। कुरुक्षेत्र मुख्य तीर्थ था। लोग अति दीर्घ आयु वाले होते थे। ज्ञान-ध्यान और तप का प्राधान्य था। बलि, मांधाता,पुरूरवा, धुन्धमारिक और कार्तवीर्य ये सत्ययुग के चक्रवर्ती राजा थे। महाभारत के अनुसार कलि युग के बाद कल्कि अवतार द्वारा पुन: सत्ययुग की स्थापना होगी।सत युग / सत्य युग
- चार प्रसिद्ध युगों में सत युग पहला है।
- इसे कृत युग भी कहते हैं।
- इसका आरंभ अक्षय तृतीया से हुआ था।
- इसका परिमाण 17,28,000 वर्ष है।
- इस युग में भगवान के मत्स्य , कूर्म, वराह और नृसिंह ये चार अवतार हुए थे। उस समय पुण्य ही पुण्य था, पाप का नाम भी न था।
- कुरुक्षेत्र मुख्य तीर्थ था।
बच्चों में विकासात्मक मील के पत्थर
बच्चों का विकास एक जटिल एवं सतत प्रक्रिया है। उन्हें एक खास आयु में कार्य-विशेष करने में सक्षम होना चाहिए। ये विकासात्मक मील के पत्थर कहलाते हैं। एक माता या पिता होने के नाते, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कोई भी दो बच्चे समान रूप से विकसित नहीं होते। इसलिये, इस बारे में चिंता करना व्यर्थ है कि पड़ोस का बच्चा यह या वह कर सकता है, लेकिन उसका बच्चा नहीं। विभिन्न गतिविधियों के लिए दर्ज़ की गई आयु पर, बच्चे को कुछ समय तक ध्यान से देखना चाहिए।
यदि कुछ महीने बाद भी वह कोई विशेष गतिविधि प्रदर्शित नहीं करता हो, तो बाल-रोग विशेषज्ञ से परामर्श लिया जाना चाहिए। यह इस तथ्य को ध्यान में रखता है कि बच्चा अलग तरीके से व्यवहार कर रहा है क्योंकि वह बीमार या व्यथित है। कभी-कभी बच्चा कुछ क्षेत्रों में समान आयु के अन्य बच्चों की तुलना में अधिक धीमी गति से विकसित हो सकता है जबकि उसकी अन्य गतिविधियां दूसरे बच्चे से आगे हो सकती हैं। जबकि बच्चा चलना सीखने के लिए तैयार नहीं हो, तब उसे चलना सीखने के लिए विवश करने पर कोई नतीज़ा नहीं निकलेगा।
विकासात्मक विलम्ब के लिए त्वरित परख
- 2 महीने– मित्रवत मुस्कान
- 4 महीने– गर्दन सीधी रखने में सक्षम
- 8 महीने– बगैर सहारे के बैठना
- 12 महीने– खड़ा होना
जन्म से 6 हफ्तों तक
- बच्चा पीठ के बल लेटकर सिर एक ओर घुमाकर रखता है
- अचानक आवाज़ उसे चौंकाती है जिससे उसका शरीर कड़क हो जाता है
- मुट्ठियां भिंच जाती हैं
- बच्चा उसकी हथेली पर कोई चीज़ हल्के से छुआने पर उसे कसकर पकड़ लेता है;
- यह पकड़ की प्रतिक्रिया है
महिला स्वास्थ्य - किशोर बालिका का स्वास्थ्य
किशोरावस्था
विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्लड हेल्थ आरगेनाइजेशन) किशोरावस्था को मनुष्य की आयु (10 से 19 वर्ष) औऱ उसके जीवन काल की व्याख्या करता है, जिसमें मनुष्य के शरीर में कुछ विशेष प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- शरीर का तेजी से बढ़ना और विकास होना
- शारीरिक, सामाजिक औऱ मनोवैज्ञानिक रूप से परिपक्व होना, लेकिन एक ही साथ नहीं।
- सेक्स संबंधी परिपक्वता और सेक्स संबंधी गतिविधियां।
- नये- नये अनुभव प्राप्त करना।
- मानसिक अवस्था में व्यस्क लक्षणों की प्रगति और व्यस्कता के लक्षण।
- संपूर्ण सामाजिक-आर्थिक निर्भरता से परिवर्तन सापेक्ष स्वतंत्रता पर निर्भर करती है।
यौवनावस्था
10 से 16 वर्ष के बीच यौवनावस्था की शुरुआत होती है, इस अवस्था में लड़कियां धीरे-धीरे बचपना से व्यस्कता की ओर बढ़ती हैं। इस दौरान शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। इनमें शारीरिक संरचना में बदलाव, स्वाभाव में परिवर्तन और जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। इस दौरान जो बदलाव होते हैं, ये निम्न हैं -
- हाथ, पैर, बांह, घुटने से टखने तक का भाग, जांघ और छाति का आकार बढ़ जाता है। शरीर से विभिन्न प्रकार के हारमोन का रिसाव होने लगता है और ये एक विशेष प्रकार के रसायन होते हैं, जो शरीर के विकास और परिवर्तन में सहायक होते हैं।
- शरीर के गुप्तांगों में वृद्धि होने लगेगा और उनसे रिसाव शुरू हो जायेगा।
- त्वाचा पहले से तैलीय होने लगेगा।
- कांख और पैर और हाथ के बगल में बाल उग आयेंगे।
पानी पर तैरती सुई
हमारी आम धरणा यह है कि लोहे जैसी धातुएं पानी में हमेशा डूब जाती हैं, लोहे के जहाज का पानी में तैरने का कारण उसका विशेष आकार है। लेकिन क्या जिसमें हवा उसे तैराने में अपनी भूमिका निभाती है। लेकिन क्या एक सुई पानी पर तैरेगी? डालकर देखो, वह फौरन डूब जाएगी, क्योंकि आर्कमिडीज़ के सिद्धान्त के अनुसार सुई का वजन उसके द्वारा हटाए गए पानी के वजन से ज्यादा है।
लेकिन एक तरीका है जिससे सुई को (और लोहे की छोटी-छोटी अन्य चीजों को) पानी पर तैराया भी जा सकता है।
एक सोख्ता कागज (ब्लाटिंग पेपर) का टुकड़ा लो। अगर यह कागज नहीं मिले तो बहुत खुरदूरे अखबार के टुकड़े को भी आजमा सकते हो (ऐसा अखबार जिस पर लिखने से स्याही फेलने लगती है)। अब इस छोटी, हल्की चीज़ रखो। इस कागज को बहुत धीरे से पानी पर तैराना है, पानी की सतह को बहुत हिलाए बिना। जैसा चित्र में दिखाया है, एक कांटे या चपटी सतह वाली चम्मच या प्लेट की मदद से ऐसा किया जा सकता है। तैरता हुआ सोख्ता कागज थोड़ी देर में पानी सोख कर भारी हो जाएगा और नीचे डूब जाएगा, पर सुई तैरती रहेगी।
बच्चों के लिए पर्यावरण मित्र नुस्खे
१. कागज़ की बर्बादी न करें- कागज़ के लिए हम वृक्ष काटते हैं। कागज़ की बचत से वृक्षों की सुरक्षा होती है।
२. पैदल चलें, साइकिल का उपयोग करें या बस से स्कूल जाएं। इससे ईंधन की बचत होती है एवं प्रदूषण घटता है।
३. नहाते समय एवं ब्रश करते समय पानी बंद करें। इससे पानी की बचत होती है।
४. स्कूल में जैव बगीचा लगाएं एवं उसके लिए कम्पोस्ट बनाएं। इससे आप प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावकारी उपयोग को सीख सकते हैं।
५. उपयोग न होने की स्थिति में लाईट तथा उपकरण/ इलेक्ट्रॉनिक्स बंद कर दें। इससे बिजली की बचत होती है।
६. मौसमी फल खाएं। आप प्रकृति सुरक्षित रखते हैं एवं पैसों की बचत भी करते हैं।
७. वृक्षारोपण करें। वे आपके पर्यावरण को हरा-भरा तथा स्वस्थ रखते हैं।
विश्व के 7 नए आधिकारिक अजूबे
चिचेन इत्ज़ा में पिरामिड (800 ई. पू.) युकातान प्रायद्वीप, मैक्सिको
अत्यंत प्रसिद्ध मायान मंदिर का शहर, चिचेन इत्ज़ा, मायान सभ्यता का राजनीतिक और आर्थिक केंद्र था। इसकी विभिन्न संरचनाओं में – कुकुल्कान का पिरामिड, चक मूल का मंदिर, हजार खंभों का हॉल, और कैदियों के खेल का मैदान - आज भी देखे जा सकते हैं और वास्तुशिल्प के क्षेत्र तथा रचना करने की असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। खुद पिरामिड सभी मायान मन्दिरों में से अंतिम और यकीनन सबसे बड़ा था।
मसीह उद्धारक (1931) रियो डी जनेरियो, ब्राज़ील
यीशु की यह मूर्ति 38 मीटर ऊंची है, जो कोर्कोवाडो पहाड़ पर है, जिससे पूरा रियो डी जनेरियो दिखता है। ब्राजील के हैटर कोस्टा डी सिल्वा द्वारा डिज़ाइन की गई और फ्रेंच मूर्तिकार पॉल लैंडोव्स्की द्वारा बनाई गई, यह मूर्ति दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। इस प्रतिमा के निर्माण में पांच साल लगे और इसका उद्घाटन 12 अक्टूबर 1931 को किया गया था। यह ब्राजील शहर और उसके लोगों, जो खुली बांहों से आगंतुकों का स्वागत करते हैं, का एक पहचान चिह्न बन गई है।
अत्यंत प्रसिद्ध मायान मंदिर का शहर, चिचेन इत्ज़ा, मायान सभ्यता का राजनीतिक और आर्थिक केंद्र था। इसकी विभिन्न संरचनाओं में – कुकुल्कान का पिरामिड, चक मूल का मंदिर, हजार खंभों का हॉल, और कैदियों के खेल का मैदान - आज भी देखे जा सकते हैं और वास्तुशिल्प के क्षेत्र तथा रचना करने की असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। खुद पिरामिड सभी मायान मन्दिरों में से अंतिम और यकीनन सबसे बड़ा था।
मसीह उद्धारक (1931) रियो डी जनेरियो, ब्राज़ील
यीशु की यह मूर्ति 38 मीटर ऊंची है, जो कोर्कोवाडो पहाड़ पर है, जिससे पूरा रियो डी जनेरियो दिखता है। ब्राजील के हैटर कोस्टा डी सिल्वा द्वारा डिज़ाइन की गई और फ्रेंच मूर्तिकार पॉल लैंडोव्स्की द्वारा बनाई गई, यह मूर्ति दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। इस प्रतिमा के निर्माण में पांच साल लगे और इसका उद्घाटन 12 अक्टूबर 1931 को किया गया था। यह ब्राजील शहर और उसके लोगों, जो खुली बांहों से आगंतुकों का स्वागत करते हैं, का एक पहचान चिह्न बन गई है।
कितनी पेंसिलें ?
अपनी आँखें बन्द कर लो। अब अपने किसी दोस्त से कहो कि वह तुम्हें धीरे से पेंसिल की नोक से छुए, कभी एक पेंसिल से, कभी दो पेंसिलों से, दोनों पेंसिलें बहुत पास-पास पकड़ी जानी चाहिए। तुम्हारा दोस्त जब तुम्हें शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर छुए तो तुम्हें बताना है कि उसने एक पेंसिल से छुआ या दो से। वह तुम्हें इन जगहों पर छू सकता है- होंठ, पीठ, बाजू, उंगलियां, पैर, लातें।
क्या हुआ? क्या तुम हर बार सही-सही बता पाते हो कि पेंसिल एक थी या दो? तुम पाओगे कि तुम कई बार गलत बताते हो। |
आवाज से मोमबत्ती बुझाना
आमतौर पर हम ध्वनि को आगे चलते देख नहीं सकते। लेकिन इस प्रयोग से तुम यह देख सकते हो कि ध्वनि हवा के जरिये कंपन की तरह आगे बढ़ती है। एक प्लास्टिक की बोतल का तला काट दो। अब एक पतले प्लास्टिक के लिफाफे का टुकड़ा काटकर उसे बोतल के इस खुले सिरे पर कस कर तान दो। रबड़ बैंड से इसे अच्छी तरह कस दो।
अब एक मोमबत्ती जलाओ। अब बोतल के मुंह को मोमबत्ती से करीब एक इंच दूरी पर रखो। अब प्लास्टिक की परत पर अपनी उंगलियों से जोर से थपथपाओ। मोमबत्ती की लौ को क्या हुआ?
ठंडी उंगलियाँ
एक बर्तन में कुछ बर्फ के टुकड़े डालो। बर्तन के बगल में कुछ चावल के दाने बिखरा दो। अब अपना एक हाथ इस बर्तन में डालो और धीरे से 30 तक गिनती गिनो। अब अपने हाथ को सुखाकर इन्हीं ठंडी उंगलियों से चावल के दानों को उठाने की कोशिश करो क्या हुआ? |
डोरी के जरिये सुनना
शायद तुमने सुना होगा कि ध्वनि तरंगें ठोस चीजों के जरिये आसानी से चल सकती हैं। इसे खुद महसूस करने के लिये यह प्रयोग करके देखो।
दो प्लास्टिक या कागज के कप (जैसे आइसक्रीम वाले) या माचिस की डब्बी के अंदर वाला हिस्सा लो। हर कप के चपटे बंद सिरे में एक छेद करो। इस छेद के जरिये एक डोरी पिरोकर उसमें एक गाँठ लगा दो।
अब एक कप को तुम पकड़ो और दूसरे को एक दोस्त को पकड़ा दो। डोरी किसी और चीज को न छुए।
धूमकेतु
- सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु (Comet)या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
- Comet शब्द, ग्रीक शब्द komētēs से बना है जिसका अर्थ होता है Hairy one बालों वाला। यह इसी तरह दिखते हैं इसलिये यह नाम पड़ा।
- धूमकेतु या पुच्छल तारे ( Comet ), चट्टान ( Rock ), धूल ( Dust ) और जमी हुई गैसों ( Gases ) के बने होते हैं। सूर्य के समीप आने पर, गर्मी के कारण, जमी हुई गैसें और धूल के कण सूर्य से विपरीत दिशा में फैल जाते हैं और सूर्य की रोशनी परिवर्तित कर चमकने लगती हैं। इस समय इनकी आकृति को दो मुख्य भागों, सिर तथा पूँछ में बांट सकते हैं। सिर का केंद्र अति चमकीला होता है। यह इसका नाभिक ( Nucleus ) कहलाता है। सूर्य की विपरीत दिशा में बर्फ़ और धूल का चमकीला हिस्सा पूँछ की तरह से लगता है। इसे कोमा ( Coma ) कहा जाता है। यह हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में रहता है। धूमकेतु की इस पूँछ के कारण इसे पुच्छल तारा भी कहते हैं।
अशोक चिह्न
भारत का राष्ट्रचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पद्म के ऊपर एक चिह्न वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भारता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर क़ानून का चक्र 'धर्मचक्र' रखा हुआ है।
Subscribe to:
Posts (Atom)